कुछ भीगी भीगी सी बातें, क्या भूलूँ क्या याद रखूँ
वो सीली सीली सी बरसातें, क्या भूलूँ क्या याद रखूँ
ठंडी बौछारें हलकी फुहारें, मिट्टी की सोंधी ख़ुशबू
तपती दोपहरें, ठिठुरती रातें, क्या भूलूँ क्या याद रखूँ
खनक हँसी की बहती हवा सी, गहरे ठहरे सन्नाटे
वक़्त ने दीं क्या सौगातें, क्या भूलूँ क्या याद रखू
तन्हाई गुनगुनाती थी कोई उदासी भरी ग़ज़ल
गुमसुम खामोश मुलाकातें, क्या भूलूँ क्या याद रखूँ
कभी रहते पलकों पे ख्वाबों के जुगनू, छुपी कभी
आँखों में अश्कों की बारातें, क्या भूलूँ क्या याद रखूँ
waah! what a start after a long hiatus :) mera mann kar raha hai is gazal ka thought aapse udhaar lene ka!
ReplyDeleteThanks Adee! By all means :-)
ReplyDeleteSpeechless!
ReplyDeleteThanks a lot Swati!!
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